Generation of Computer, कंप्यूटर की पीढ़ी सम्पूर्ण जनकारी
कंप्यूटर की पीढ़ी तकनीकी प्रगति के आधार पर कंप्यूटर विकास के
विभिन्न चरणों को दर्शाती है। हर पीढ़ी में कंप्यूटर की संरचना, प्रोसेसिंग क्षमता, और कार्यक्षमता में बदलाव हुए हैं।
पहली पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग हुआ, जबकि दूसरी में ट्रांजिस्टर और तीसरी में इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) का। चौथी पीढ़ी में
माइक्रोप्रोसेसर का विकास हुआ, जिससे पर्सनल कंप्यूटर आम हो गए। पाँचवीं पीढ़ी में आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस (AI) और
मशीन लर्निंग का प्रयोग हो रहा है। हर पीढ़ी कंप्यूटर को अधिक तेज, छोटे, और शक्तिशाली बनाती है।
1. पहली
पीढ़ी (First Generation) – 1940-1956: वैक्यूम ट्यूब्स
(Vacuum Tubes)
वैक्यूम ट्यूब्स (Vacuum Tubes) कंप्यूटर, पहली पीढ़ी के कंप्यूटर होते थे जो 1940 से 1956 के बीच उपयोग किए जाते थे। इन कंप्यूटरों में मुख्य रूप से वैक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल किया जाता था, जो इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रित करने और डेटा प्रोसेसिंग के लिए ट्रांजिस्टर की तरह काम करते थे।
वैक्यूम ट्यूब्स कंप्यूटर की मुख्य विशेषताएँ:
1. बड़ा आकार: इन कंप्यूटरों का आकार बहुत बड़ा होता था, कभी-कभी पूरे कमरे को भर देते थे।
2. धीमी गति: प्रोसेसिंग स्पीड आज के कंप्यूटरों के मुकाबले बहुत धीमी थी।
3. अधिक बिजली खपत: ये कंप्यूटर बहुत अधिक बिजली की खपत करते थे और काम के दौरान बहुत गर्मी उत्पन्न करते थे।
4. विश्वसनीयता की कमी: वैक्यूम ट्यूब्स बार-बार खराब हो जाते थे, जिससे कंप्यूटर में बार-बार मरम्मत की आवश्यकता पड़ती थी।
5. मशीनी भाषा का उपयोग: इन कंप्यूटरों में केवल मशीनी भाषा (0 और 1) का ही उपयोग होता था।
उदाहरण:
- ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer): यह सबसे प्रसिद्ध वैक्यूम ट्यूब कंप्यूटर था, जिसे 1945 में विकसित किया गया था। इसका उपयोग सैन्य गणनाओं के लिए किया गया।
- UNIVAC (Universal Automatic Computer): यह पहला व्यावसायिक कंप्यूटर था, जिसे 1951 में लॉन्च किया गया था और इसका उपयोग डेटा प्रोसेसिंग के लिए किया गया।
इन कंप्यूटरों ने कंप्यूटर विज्ञान के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन बाद में ट्रांजिस्टर और इंटीग्रेटेड सर्किट्स के आविष्कार से इन्हें बदल दिया गया, जिससे कंप्यूटर छोटे, तेज और अधिक विश्वसनीय हो गए।
2. दूसरी
पीढ़ी (Second Generation) – 1956-1963: ट्रांजिस्टर (Transistors)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर, जो 1950 के दशक के अंत और 1960 के दशक में विकसित हुए थे, में आज के कंप्यूटरों की तरह डिस्प्ले नहीं होते थे। इसके बजाय, वे इनपुट और आउटपुट के लिए पंच कार्ड, पेपर टेप और प्रिंटआउट का उपयोग करते थे। इन कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब के बजाय ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता था, जिससे ये पहले की पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में छोटे और अधिक विश्वसनीय थे, लेकिन तब भी इनमें उन्नत ग्राफिकल डिस्प्ले नहीं होते थे।
ट्रांजिस्टर (Transistor) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है, जो इलेक्ट्रिक सिग्नल को स्विच (बंद/चालू) करने या एम्पलीफाई (बढ़ाने) के लिए उपयोग किया जाता है। यह वैक्यूम ट्यूब्स का एक छोटा, तेज और अधिक प्रभावी विकल्प है, और इसका आविष्कार 1947 में हुआ था। ट्रांजिस्टर का उपयोग कंप्यूटरों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है।
ट्रांजिस्टर की मुख्य विशेषताएँ:
1. छोटा आकार: ट्रांजिस्टर आकार में बहुत छोटे होते हैं, जिससे कंप्यूटर और अन्य उपकरण छोटे और कॉम्पैक्ट हो गए।
2. कम बिजली खपत: ये बहुत कम बिजली का उपयोग करते हैं, जिससे ऊर्जा की बचत होती है।
3. उच्च गति: ट्रांजिस्टर कंप्यूटर की प्रोसेसिंग गति को तेज कर देते हैं।
4. विश्वसनीयता: ये वैक्यूम ट्यूब्स की तुलना में अधिक विश्वसनीय होते हैं और कम गर्मी उत्पन्न करते हैं।
5. लंबी उम्र: ट्रांजिस्टर अधिक समय तक चलते हैं और इनकी मेंटेनेंस की जरूरत कम होती है।
ट्रांजिस्टर का उपयोग:
- कंप्यूटरों में: ट्रांजिस्टर ने दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों (1956-1963) में वैक्यूम ट्यूब्स की जगह ली, जिससे कंप्यूटर छोटे, तेज और अधिक विश्वसनीय हुए।
- रेडियो, टीवी, और अन्य उपकरणों में: ट्रांजिस्टर का उपयोग रेडियो, टीवी, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सिग्नल को एम्पलीफाई करने के लिए भी किया जाता है।
ट्रांजिस्टर के विकास ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को आधुनिक और पोर्टेबल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे टेक्नोलॉजी की दुनिया में क्रांति आई।
3. तीसरी
पीढ़ी (Third Generation) – 1964-1971: इंटीग्रेटेड
सर्किट (ICs)
इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) एक छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होते हैं, जिसमें कई ट्रांजिस्टर, रेज़िस्टर, कैपेसिटर, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक घटक एक छोटे सिलिकॉन चिप पर इकट्ठे होते हैं। ICs का मुख्य उद्देश्य कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में जटिल सर्किट्री को छोटे और अधिक प्रभावी ढंग से संचालित करना है।
ICs की विशेषताएँ:
- छोटा आकार: ICs में कई घटक एक ही चिप पर होते हैं, जिससे सर्किट छोटा और कॉम्पैक्ट होता है।
- कम बिजली खपत: यह पारंपरिक सर्किट्स की तुलना में कम ऊर्जा का उपयोग करता है।
- उच्च गति: ICs कंप्यूटर की प्रोसेसिंग गति को बहुत अधिक बढ़ाते हैं।
- कम लागत: बड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण ICs की लागत कम होती है।
- विश्वसनीयता: ICs अधिक विश्वसनीय होते हैं क्योंकि इनमें घटक कम होते हैं और सर्किट एकीकृत होते हैं।
- तकनीक: इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) का
उपयोग।
- भाषा: उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाएँ (High-Level
Programming Languages) जैसे COBOL, FORTRAN।
- उदाहरण: IBM 360, Honeywell 6000।
- विशेषताएँ: आईसी तकनीक ने कंप्यूटर को और भी छोटा और तेज बना दिया। मल्टीटास्किंग और मल्टीप्रोग्रामिंग संभव हो गई।
4. चौथी
पीढ़ी (Fourth Generation) – 1971-1980: माइक्रोप्रोसेसर
(Microprocessors)
माइक्रोप्रोसेसर एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक चिप होता है, जिसे कंप्यूटर के सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) के रूप में उपयोग किया जाता है। यह एकल चिप पर कई लाख ट्रांजिस्टर होते हैं, जो कंप्यूटर की गणना और निर्देशों को प्रोसेस करने का काम करते हैं। माइक्रोप्रोसेसर का आविष्कार 1971 में हुआ, और यह चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों की मुख्य तकनीक थी।चौथी पीढ़ी PC आप निचे दिए गए चित्र में देख सकते है |
माइक्रोप्रोसेसर की मुख्य विशेषताएँ:
- एकीकृत चिप: माइक्रोप्रोसेसर ने पूरे कंप्यूटर के प्रोसेसिंग यूनिट को एक छोटे से सिलिकॉन चिप में समेट दिया।
- तेज प्रोसेसिंग: यह बहुत तेज़ी से गणना और डेटा प्रोसेस कर सकता है, जिससे कंप्यूटर की गति में भारी वृद्धि हुई।
- कुशल और विश्वसनीय: माइक्रोप्रोसेसर की वजह से कंप्यूटर अधिक कुशल और विश्वसनीय बने, और ये कम बिजली का उपयोग करते हैं।
- छोटा आकार: माइक्रोप्रोसेसर की वजह से कंप्यूटर का आकार छोटा हो गया, और व्यक्तिगत कंप्यूटर (PCs) का विकास हुआ।
- सस्ता और सुलभ: माइक्रोप्रोसेसर ने कंप्यूटर को सस्ता और आम जनता के लिए सुलभ बना दिया।
पहला माइक्रोप्रोसेसर:
- Intel 4004 (1971): यह पहला माइक्रोप्रोसेसर था, जिसे Intel ने विकसित किया था। यह 4-बिट प्रोसेसर था और इसमें 2,300 ट्रांजिस्टर थे।
माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग:
- कंप्यूटरों में: सभी आधुनिक कंप्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर होता है, जो कंप्यूटर के कार्यों को नियंत्रित करता है।
- स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, और अन्य उपकरणों में: आजकल माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग स्मार्टफोन, वॉशिंग मशीन, और अन्य उपकरणों में भी किया जाता है।
माइक्रोप्रोसेसर का आविष्कार कंप्यूटर के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर था, जिसने कंप्यूटरों को छोटे, तेज, और व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपयुक्त बनाया।
5. पाँचवीं
पीढ़ी (Fifth Generation) – 1980 से अब तक:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
- तकनीक: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम
कंप्यूटिंग, वॉयस रिकॉग्निशन।
- भाषा: अधिक एडवांस्ड प्रोग्रामिंग भाषाएँ और
एआई तकनीक।
- उदाहरण: सुपर कंप्यूटर, IBM
Watson, Google DeepMind।
- विशेषताएँ: वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन
लर्निंग, डीप लर्निंग और क्वांटम कंप्यूटिंग पर आधारित
कंप्यूटर विकसित हो रहे हैं। ये कंप्यूटर इंसान की सोचने की क्षमता की नकल करने का
प्रयास कर रहे हैं।
वर्तमान में कौन
सी पीढ़ी चल रही है?
हम पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों का उपयोग कर
रहे हैं, जो AI, मशीन लर्निंग, और
अन्य उन्नत तकनीकों पर आधारित हैं। इस पीढ़ी में कंप्यूटर अब केवल डेटा प्रोसेसिंग
ही नहीं, बल्कि निर्णय लेने और विश्लेषण करने की क्षमता
रखते हैं।







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